अध्याय 608 शिकायत को निगलना

रात के दस बज चुके थे।

लेला पुलिस स्टेशन में अटकी हुई थी, उसे ऐसा लग रहा था जैसे सदियों से वहीं हो। पुलिस वाले बदलते रहते थे, लेकिन वह उस तेज रोशनी के नीचे ही बैठी रहती थी। बल्ब की चमक ने सब कुछ सफेद कर दिया था, उसकी नजरें धुंधली हो रही थीं। इतनी देर तक उस रोशनी के नीचे बैठना उसे पागल कर रहा था।

एक...

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